हजारीबाग। भारत के महान कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन के निधन के बाद शुक्रवार को आईसेक्ट विश्वविद्यालय के तरबा-खरबा स्थित मुख्य कैंपस सभागार में शोक सभा का आयोजन कर दो मिनट का मौन धारण किया गया और उनके आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई। बता दें कि डॉ एमएस स्वामीनाथन बीते गुरुवार को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में 98 वर्ष की आयू में दुनिया को अलविदा कह दिया। स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त, 1925 को हुआ था। उन्हें भारत में हरित क्रांति के जनक के तौर पर जाना जाता है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीके नायक ने इस मौके पर कहा कि डॉ स्वामीनाथन का इस दुनिया से जाना कृषि के क्षेत्र में देश के लिए अपूर्णीय क्षति है। उन्होंने कहा कि उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। वहीं विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ मुनिष गोविंद ने कहा कि कृषि वैज्ञानिक डॉ स्वामीनाथन ने हरित क्रांति की सफलता के लिए दो केंद्रीय कृषि मंत्रियों सी सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर काम किया। उन्होंने केमिकल-बायोलॉजिकल टेक्नोलॉजी के जरिए गेहूं और चावल की प्रोडक्टिविटी बढ़ाई और हरित क्रांति को सफल बनाया। हरित क्रांति के चलते भारत में गेहूं और चावल के उत्पादन में भारी इजाफा देखने को मिला। भारत को एक वक्त पर अनाज के लिए विदेशी मुल्कों पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन हरित क्रांति की वजह से भारत एक कृषि उत्पादक देश बन गया। मौके पर कृषि विभाग डीन डॉ अरविंद कुमार, एचओडी प्रभात किरण, डॉ सत्य प्रकाश, प्रिया कुमारी, फरहीन सिद्दीकी समेत विश्वविद्यालय के कई प्राध्यापक-प्राध्यापिकाएं व कर्मियों के साथ साथ विद्यार्थी मौजूद थे।
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