रांची | शिल्पी नेहा तिर्की ने लोगों से राँची रेलवे स्टेशन से झारखंड के 47 बंधक मजदूर का स्वागत किया और उनकी आपबीती सुनी और बताया की ग्रामीणों की बेंगलुरु की दास्तां सुन कर रौंगटे खड़े हो गए। उन्होंने कहा की आज भी आदिवासियों को जंगली वनवासीयों की तरह देखा जाता है, इनको मारा पिटा जाता है, आज के इक्कीसवीं सदी में ये हो रहा है यह देख कर बहुत पीड़ा होती है और इससे निपटना मेरे लिए एक आदिवासी होते हुए बड़ी चुनौती है।
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