EditorialFeaturedJharkhandRanchiSocial

थमती भाषाएं, चुप राज्य—जनजातीय अस्मिता का संकट

Share
Share
Spread the love

झारखंड की सांस्कृतिक बनावट जितनी प्राचीन है, उतनी ही विविध और जीवंत भी। कुड़ुख, मुंडारी, खोरठा, नागपुरी, पंचपरगनिया, संताली, हो, कुरमाली और खड़िया जैसी भाषाएं न केवल संवाद के माध्यम हैं, बल्कि एक समृद्ध परंपरा, विचारधारा और पहचान की वाहक हैं। किंतु आज इन भाषाओं का अस्तित्व खतरे में है—और यह संकट केवल भाषिक नहीं, सांस्कृतिक और शैक्षिक है।

जहाँ नई शिक्षा नीति मातृभाषाओं और जनजातीय भाषाओं के संवर्धन की बात करती है, वहीं झारखंड में इन लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में गंभीर उदासीनता दिखाई दे रही है। प्रदेश के दस विश्वविद्यालयों में से केवल छह में ही इन भाषाओं का पठन-पाठन संचालित हो रहा है, वह भी अपर्याप्त संसाधनों और शिक्षकों की कमी के बीच।

दशकों से सेवा दे रहे प्रोफेसर रिटायर हो रहे हैं, पर उनकी जगहों पर नई नियुक्तियां नहीं हो रही। “नीड बेस्ड” शिक्षकों की नियुक्ति ने अस्थायी रूप से इस शून्य को भरने की कोशिश की है, किंतु इन शिक्षकों को आज भी संस्थागत स्थायित्व का अधिकार नहीं मिला। यह शासन की एक ऐसी खामोशी है जो धीरे-धीरे इन विभागों के अस्तित्व को निगल रही है।

स्थिति इस कदर बिगड़ चुकी है कि नेट और जेआरएफ जैसी योग्यता रखने वाले छात्र वर्षों तक मार्गदर्शन के अभाव में शोध कार्य प्रारंभ नहीं कर पा रहे। यह केवल प्रशासनिक विफलता नहीं है, बल्कि युवा प्रतिभाओं के आत्मविश्वास और संभावनाओं की हानि है।

इसके दूरगामी परिणाम केवल अकादमिक नहीं होंगे। जनजातीय पर्व—सरहुल, करम, टुसू—जो इन भाषाओं के विद्यार्थियों की कोशिशों से अब भी विश्वविद्यालय परिसरों में जीवित हैं, उनकी सामाजिक स्वीकृति भी धीरे-धीरे क्षीण हो रही है। जब अन्य विषयों के शिक्षक इन्हें “नाच-गान” कहकर खारिज करते हैं, तब यह न केवल अनुचित है, बल्कि समावेशी शिक्षा के मूल उद्देश्य का मखौल भी है।

यह क्षण आत्मनिरीक्षण का है—राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को मिलकर यह ठोस आश्वासन देना होगा कि झारखंड की भाषाएं केवल अतीत नहीं हैं, वे इसका जीवंत वर्तमान और भविष्य भी हैं।

हमारी चुप्पी यदि जारी रही, तो आने वाली पीढ़ियां हमसे पूछेंगी — किस मूल्य पर हमने अपनी पहचान खो दी?

लेखक – हेमन्त अहीर
जनजातीय एवं क्षेत्रिय भाषा विभाग, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय रांची

Share

Leave a comment

Leave a Reply

Categories

Calender

June 2025
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
30  







Related Articles
JharkhandpatratupatratuRamgarhSports

पतरातू में प्रखंड स्तरीय प्रथम लिटिल चैंप फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन।

Spread the loveरिपोर्ट- सुमित कुमार पाठकपतरातू । खेलो झारखंड के कि और...