संजर मलिक ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर जताया शोक, कहा- उनके विचारों को अपनाना ही सच्ची श्रद्धांजलि
हजारीबाग | 4 अगस्त 2025 : देश और विशेषकर झारखंड के लिए यह एक शोक की घड़ी है। समाजसेवी, शांति समिति सदस्य और झारखंड आंदोलनकारी फहिम उद्दीन अहमद उर्फ संजर मलिक ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर गहरा शोक प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन ने अपनी पूरी जिंदगी जंगलों, पहाड़ों, झोंपड़ियों और संघर्षों के बीच रहकर झारखंड को अलग राज्य बनाने के लिए संघर्ष किया और आखिरकार 15 नवंबर 2000 को बिरसा मुंडा जयंती के दिन यह सपना साकार हुआ।
संजर मलिक ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “वे केवल एक नेता नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता, गरीबों, दलितों और आदिवासियों के उत्थान का प्रतीक थे। उनका जीवन आदर्श और प्रेरणास्त्रोत है।”
उन्होंने याद करते हुए कहा कि जब वे संत कॉलंबस कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे, तब झारखंड आंदोलन चरम पर था। उसी समय नाका बंदी के दौरान उन्होंने अपने साथियों के साथ आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की। उन्होंने बताया, “हमारा नारा था – कैसे लोगे झारखंड? लड़ के लेंगे झारखंड!”
संजर मलिक ने भावुक होते हुए कहा कि शिबू सोरेन जैसे जननायक अब शायद ही जन्म लें। उन्होंने राज्य सरकार से अपील की कि दिवंगत नेता की नीतियों, सिद्धांतों और अधूरे कार्यों को आगे बढ़ाया जाए, तभी उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि मिलेगी।
शोक व्यक्त करने वालों में एजाज़ खान, आदित्य राणा, फैसल खान, रजनीश गोप, नवाब खान और शत्रुघ्न राम सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता एवं आंदोलनकारी शामिल थे।
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