राज्य की पंचायती राज संस्थाओं को लगभग 600 करोड़ की राशि जल्द मिलने की उम्मीद बढ़ गयी है। राज्य सरकार ने अगर इस राशि के खर्च का समय पर उपयोगिता प्रमाण पत्र केंद्र सरकार को भेज देती है तो फिर दूसरी किश्त में भी लगभग 600 करोड़ और कुल 2600 करोड़ की राशि 31 मार्च 2026 तक मिल सकती है। यह राशि 15 वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित है। लेकिन कतिपय तकनीकी कारणों से 15 वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित राशि में दो वर्षों की लगभग 2600 की राशि झारखंड को नहीं मिली। इस कारण ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज संस्थाओं की वित्तीय स्थिति काफी बिगड़ी हुई है। विकास के काम ठप हैं। किए गए काम का भुगतान नहीं हो पा रहा है। निर्वाचित जनप्रतिनिधि पैसे के लिए आंदोलनरत हैं।
क्यों केंद्र ने अनुदान की राशि नहीं दी
आधिकारिक जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने 14 वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर प्राप्त राशि का हिसाब नहीं दिया था। नियमानुसार केंद्र सरकार से वित्त आयोग की अनुशंसा पर मिलने वाली राशि का 10 फीसदी ही बैलेंस में शो किया जा सकता है। अर्थात केंद्र सरकार ने अगर 100 करोड़ की राशि दी है तो खर्च नहीं होनेवाली राशि 10 फीसदी से कम होनी चाहिए। लेकिन 14 वें वित्त आयोग से प्राप्त राशि का बैलेंस 10 फीसदी से अधिक रह गया, जिसका राज्य सरकार ने उपयोगिता प्रमाण पत्र समय पर नहीं दिया। दूसरा 15 वें वित्त आयोग का कार्यकाल प्रारंभ होने के बाद 14 वें वित्त आयोग का साइट भी बंद कर दिया गया, जिस पर राज्य सरकार द्वारा खर्च की गयी राशि का बाद में इंट्री नहीं किया जा सका। इस कारण भी 15 वें वित्त आयोग द्वारा दो वर्षों के लिए अनुशंसित लगभगग 2600 करोड़ की राशि रोक दी गयी।
राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा पर अमल नहीं होना भी कारण बना
जानकारी के अनुसार राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष रहे एपी सिंह ने पंचायती राज संस्थाओं को राज्य सरकार को अपने कोष से भी राशि देने की अनुशंसा की थी। इसके अलावा कई अन्य तरह की भी उन्होंने अनुशंसा की थी। 15 वां वित्त आयोग राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा और उस पर अमल नहीं होने को गंभीरता लिया। इस कारण भी राशि रिलीज नहीं की गयी।
12 सितंबर को विभाग ने बुलायी बैठक, कैबिनेट की भी स्वीकृति ली जाएगी
इधर जानकारी के अनुसार राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा पर विचार करने के लिए विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दे दी है। अब कमेटी की रिपोर्ट पर कैबिनेट की स्वीकृति लेते हुए केंद्र सरकार को सूचित किया जाएगा। इससे केंद्र सरकार से बकाये राशि के मिलने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। साथ ही विभाग ने 12 सितंबर को जिला पंचायती राज पदाधिकारियों की बैठक बुलायी है। इसमें पूर्व में प्राप्त राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र और एमआईएस पर इंट्री को अपडेट करने पर विचार किया जाएगा। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा उठाए जानेवाले इन कदमों से एक वर्ष की बकाया 1300 करोड़ की राशि में पहली किश्त के रूप में 600 करोड़ रुपए के जल्द रिलीज हो जाने की उम्मीद है।
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