रांची: झारखंड के हजारीबाग जिले के चौपारण ब्लॉक में 2,500-3,000 साल पुरानी सभ्यता के पुरातात्विक साक्ष्य मिले हैं। न्यूयॉर्क के हैमिल्टन कॉलेज में एशियाई अध्ययन के प्रमुख डॉ. अभिषेक सिंह अमर ने हाल ही में इस स्थल का दौरा किया और इसे पुरातात्विक महत्व का एक प्रमुख केंद्र बताया। खोज यह खोज भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीमों द्वारा की गई, जिन्होंने इस क्षेत्र के दैहर, सोहरा, मानगढ़ और हथिन्दर गांवों की खोज की। उन्होंने उत्तरी ब्लैक पॉलिश्ड वेयर (एनबीपीडब्लू) के नमूने एकत्र किए, जो 300 से 100 ईसा पूर्व की सभ्यताओं से जुड़े काले-चमकीले मिट्टी के बर्तनों का एक प्रकार है।
मानगढ़ गांव में एक विशाल टीले की पहचान एक प्राचीन बौद्ध स्तूप के रूप में की गई, जिसकी ग्रामीण पीढ़ियों से पूजा करते आ रहे हैं। 3000 साल पुरानी सभ्यता पिछले 70 सालों में तालाब खोदने, कुआं बनाने और कृषि गतिविधियों के दौरान इस क्षेत्र में कई मूर्तियाँ और पत्थर की शिलाएँ खोदी गई हैं। महत्वपूर्ण खोजों में एक बड़ी दिव्य मूर्ति शामिल है जिसे स्थानीय लोग माता कमला के नाम से पूजते हैं, और गौतम बुद्ध, बौद्ध देवी तारा, मरीचि, अवलोकितेश्वर, ब्रह्मा, विष्णु, महेश और गणेश की प्राचीन मूर्तियाँ हैं। हथिंदर गाँव में पुरातत्वविदों ने एक प्राचीन सती पत्थर और एक टेराकोटा रिंग वेल बरामद किया है, जो इस स्थल के ऐतिहासिक महत्व को और भी दर्शाता है।
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