पश्चिमी सिंहभूम जिले के नोवामुंडी प्रखंड में डायरिया ने कई गांवों को अपनी चपेट में ले लिया है। खासकर कादोजामदा पंचायत के कादोजामदा और पादापहाड़ गांव, तथा मोहदी पंचायत के मोहदी और मुंडासाई गांव सबसे अधिक प्रभावित हैं। अब तक इस बीमारी से पांच लोगों की मौत हो चुकी है और कई अन्य गंभीर रूप से बीमार हैं। शुरुआती दिनों में स्थानीय स्वास्थ्य विभाग को स्थिति की गंभीरता का अंदाजा नहीं था। बीमार ग्रामीण घरेलू इलाज पर ही निर्भर थे। जब स्थिति बिगड़ने लगी, तब पंचायत समिति सदस्य मंजू पूर्ति ने स्थानीय विधायक सोनाराम सिंकु को इसकी जानकारी दी। इसके बाद प्रशासन सक्रिय हुआ।
स्वास्थ्य विभाग ने उठाए कदम
विधायक सोनाराम सिंकु ने जिले के सिविल सर्जन डॉ. सुशांतो कुमार माझी को निर्देश दिया कि प्रभावित क्षेत्रों में तुरंत चिकित्सा दल भेजा जाए और स्वास्थ्य शिविर लगाए जाएं। विधायक ने साफ कहा कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम नोवामुंडी और आस-पास के गांवों में पहुंची। साथ ही टाटा स्टील के नोवामुंडी अस्पताल से भी मदद ली गई। अस्पताल प्रशासन ने डायरिया से पीड़ित लोगों को भर्ती करना शुरू किया। अब तक 8 से 10 मरीजों को अस्पताल लाया गया है, जिनमें से चार से पांच की हालत नाजुक है और उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया है।
गंदे पानी से फैला संक्रमण
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि बारिश के बाद गांवों में पीने के पानी की गुणवत्ता काफी खराब हो गई थी। जलस्रोतों में गंदगी बढ़ने से संक्रमण फैलने की आशंका है। स्वास्थ्य विभाग की टीमें पानी के नमूने एकत्र कर जांच कर रही हैं और गांवों में स्वच्छता की स्थिति का आकलन किया जा रहा है। लोगों को उबला हुआ पानी पीने और सफाई बनाए रखने की सलाह दी जा रही है। हालांकि, अभी भी कई ग्रामीणों में डायरिया के लक्षण देखे जा रहे हैं, जिससे गांवों में भय का माहौल बना हुआ है। प्रशासन का कहना है कि स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है और हर जरूरी स्वास्थ्य सुविधा एवं दवाएं गांवों में उपलब्ध कराई जा रही हैं। स्वास्थ्य शिविरों के जरिए लगातार निगरानी की जा रही है ताकि बीमारी को और फैलने से रोका जा सके।
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