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Garib Rath Express Train(12878) से Indian Railways को एक साल में करोड़ों का हो रहा नुकसान

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Khabar365news

by: K. Madhwan

एक अनुमान के मुताबिक गरीब रथ एक्सप्रेस ट्रेन में मौजूद टीटीई, कोच अटेंडेंट और रेलवे पुलिस मिलकर Indian Railways को साल में लगभग 02 करोड़, 09 लाख, 95 हजार, 200 सौ रुपए का लगा रहे हैं चूना ।

गौरतलब है कि प्रत्येक रेलवे अधिकारी या कर्मचारी को उनके कर्तव्यों के साथ कुछ जिम्मेदारियां भी सौंपी जाती है, जिसका वे उत्तरोत्तर पालन करते हैं। यदि कोई व्यक्ति बिना टिकट यात्रा कर रहा हो तो “अतिरिक्त किराया टिकट” की भी जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है। यह टीटीई द्वारा यात्रियों से बिना किसी उचित पास या टिकट के यात्रा करने के लिए वसूला जाता है। यदि कोई यात्री अपनी अधिकृत दूरी से अधिक यात्रा करता है, तो टीटीई अनधिकृत दूरी का किराया वसूल करने के लिए अधिकृत है। लेकिन क्या यह पैसा इंडियन रेलवे के खाते में जा रहा है यह सोचने वाली बात है। आपको बता दें कि एक अनुमान के मुताबिक गरीब रथ एक्सप्रेस ट्रेन में मौजूद टीटीई, कोच अटेंडेंट और रेलवे पुलिस मिलकर Indian Railways को साल में लगभग ₹ 2 करोड़ की चपत लगा रहे हैं।

हम आपको बताएंगे कैसे? :

Garib Rath Express में 18 कोच होती है और प्रत्येक कोच में एक वाशरूम के पास दो बर्थ तथा दूसरे वाशरूम के पास एक बर्थ होती है, जो उस कोच के अटेंडेंट के जिम्मे होती है। इस एक बर्थ पर दो लोग आसानी से सो सकते हैं। क्योंकि ये काफी चौड़ी होती है। तो आप सोच सकते हैं कि एक कोच में कुल छह यात्री बिना टिकट यात्रा करते हैं (ठंड के दिनों में दो के जगह तीन यात्री भी सो जाते हैं)। हालांकि इंडियन रेलवे के रूल्स के मुताबिक आप प्लेटफार्म टिकट पर यात्रा कर सकते हैं लेकिन इसमें भी कुछ नियम एवं शर्ते हैं। इसके बारे में हम कभी और बात करेंगे।

आइए अब कुछ कैलकुलेशन करते हैं। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हफ़्ते में तीन दिन Garib Rath Express नई दिल्ली से रांची के लिए चलती है। ऐसे में एक महीने में चार सप्ताह के हिसाब से बारह दिन होते हैं। तो एक महीने में लगभग 12 दिन गरीब रथ एक्सप्रेस चलती है (एक तरफ से)। 1 साल में 12*12= 144 दिन हुए। एक कोच में 6 यात्री के हिसाब से कुल 18 कोचों में 18*6= 108 यात्री 1 दिन में प्लेटफॉर्म टिकट लेकर चढ़ते हैं। यदि मान लिया जाए गरीब रथ का किराया टैक्स वगैरह जोड़ करके लगभग 1100 रूपए है और उस पर फाइन 250 रुपए चार्ज किया जाता है, तो यह लगभग 1350 रुपए के आसपास आता है। इसके अलावा विदाउट टिकट या प्लेटफॉर्म टिकट वाले सभी यात्रियों से कोच अटेंडेंट की बात होती है, वह उनको आश्वस्त करता है कि 1500 रुपए दीजिए, इसमें से कुछ टीटीई और कुछ रेलवे पुलिस को भी देना पड़ता है।
अब आप सोचिए कि 1350*108 यात्री= 1,45,800 रुपए 1 दिन में कोच अटेंडेंट, टीटीई और आरपीएफ मिलकर गटक जा रहे हैं, तो 1 महीने में 1,45,800 रुपए *12 दिन = 17,49,600 रुपए (क्योंकि एक तरफ से गरीब रथ एक्सप्रेस महीने में 12 दिन चलती है)। 1 साल में मोटा मोटी 17,49,600*12 = ₹2,09,95,200 करोड़। यानी टीटीई, कोच अटेंडेंट और रेलवे पुलिस मिलकर Indian Railways को साल में लगभग 2 करोड़, 09 लाख, 95 हजार, 200 सौ रुपए का चूना लगा रहे हैं। वहां मौजूद जब कुछ यात्रियों से बात हुई तो उन्होंने कहा कि हम अटेंडेंट को 1500 से 2000 रुपए देते हैं उसके बाद हम बाथरूम के बगल वाला अटेंडेंट की सीट में सो जाते हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या यह फाइन वगैरह नहीं काटते हैं, तो बैठे यात्री ने प्रत्युत्तर में कहा कि इन्हीं लोगों में बंदरबांट हो जाती है। हम लोग को फाइन की रसीद का जरूरत नहीं है। सब मैनेज हो जाता है।

रेलवे कोच के बाहर खड़ा विदाउट टिकट यात्री

आपको बता दें कि इसके साथ ही कोच अटेंडेंट के भी कुछ कर्तव्य है। जैसे- प्रस्थान से पहले बुनियादी सुविधाओं की जांच करना, कोच की सुरक्षा, नियमित रूप से बाथरूम, डिब्बों, गलियारों, दर्पणों आदि की सफाई जैसी स्वच्छता तथा ड्यूटी के दौरान उन्हें रात में सोने नहीं दिया जाता। लेकिन ना ही उन्हें स्वच्छता का ख्याल है और ना ही सुरक्षा का। कोच अटेंडेंट रात होते ही अपने केबिन में घूस कर सो जाते हैं। वहीं अंदर कुछ यात्रियों का कहना था कि इन लोगों के चलते रात में बहुत डिस्टरबेंस होता है। साथ ही उन्होंने कहा कि शिकायत करने से भी बाथरूम तथा कोच की साफ सफाई नहीं होती। इसके बारे में रेलवे प्रबंधन को कुछ सोचना चाहिए।

गरीब रथ एक्सप्रेस ट्रेन(12878) में बिखरे पड़े कुड़े
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