रांची : झारखंड की पूर्व विधायक और बीजेपी नेता सीता सोरेन एक बार फिर कानूनी पचड़े में फंसती नजर आ रही हैं। धनबाद की मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) आरती माला की अदालत ने उनके खिलाफ आपराधिक साजिश, मारपीट, रंगदारी, चोरी, चीटिंग और अपहरण जैसे गंभीर आरोपों पर मुकदमा स्वीकार कर लिया है।
इस मामले में सीता सोरेन समेत कुल 9 लोगों को आरोपी बनाया गया है। यह मुकदमा उनके पूर्व निजी सचिव देवाशीष मनोरंजन घोष द्वारा दायर किया गया है, जो रांची के जगन्नाथपुर के निवासी हैं।
किन लोगों पर दर्ज हुआ मुकदमा
मुकदमे में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है, उनके नाम इस प्रकार हैं:
• सीता सोरेन (पूर्व विधायक, बीजेपी नेता)
• सुनील कुमार चौधरी उर्फ सुनील पासी (बरवाअड्डा, धनबाद)
• गंगा सागर सिंह उर्फ डब्बू सिंह (बरियातू, रांची)
• विवेक सिंह (पिस्का मोड़, रांची)
• खुशबू सिंह
• रिंकू शाहदेव उर्फ मृत्यंजय शाहदेव
• राहुल नोनिया (तेतुलमारी, धनबाद)
• रौनक गुप्ता (कतरास)
• भोलू सिंह (तेतुलमारी)
देवाशीष ने लगाए क्या-क्या आरोप?
देवाशीष घोष ने अदालत में दायर शिकायत में आरोप लगाया है कि वह लंबे समय तक सीता सोरेन के निजी सचिव के रूप में कार्यरत थे। 6 मार्च 2025 को उन्होंने देवाशीष को कतरास में एक शादी समारोह में शामिल होने को कहा। शादी में शामिल होने के बाद वे सोनोटोल होटल, धनबाद में रात के विश्राम के लिए गए।
देवाशीष का आरोप है कि रात 11:30 बजे, सीता सोरेन के कहने पर सभी आरोपियों ने उन्हें जबरन कमरे से बाहर बुलाया, मारपीट की और सादा कागज़ पर हस्ताक्षर करवाए। इसके बाद उनका एटीएम कार्ड लेकर लगभग चार लाख रुपये की निकासी की गई।
अवैध हथियार का फर्जी आरोप और जेल
शिकायत के अनुसार, आरोपी सुनील चौधरी और राहुल नोनिया ने एक अवैध देसी कट्टा जबरन देवाशीष को पकड़वाने की कोशिश की। इसके बाद सीता सोरेन ने अपनी राजनीतिक पहुंच का इस्तेमाल कर देवाशीष पर झूठा Arms Act का मुकदमा सरायढेला थाना में दर्ज करवाया, जिससे उन्हें जेल जाना पड़ा।
जमीन, गाड़ी और अन्य सामान भी छीना गया
देवाशीष ने यह भी आरोप लगाया कि उक्त लोगों ने उनकी गाड़ी, जमीन के कागजात और निजी सामान भी छीन लिए, जो उन्हें आज तक नहीं लौटाए गए हैं। जेल से बाहर आने के बाद 27 मई 2025 को उन्होंने सरायढेला थाना में लिखित शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
अदालत ने स्वीकार किया मामला
धनबाद की मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी आरती माला की अदालत ने यह मामला भारतीय न्याय संहिता की निम्नलिखित धाराओं के तहत स्वीकार किया है:
303(2), 308(4), 115(2), 126(2), 316(2), 318(4), 14(3), 61(2) – जो कि चोरी, रंगदारी, चीटिंग, अपहरण, मारपीट और आपराधिक षड्यंत्र से संबंधित हैं।
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