रामगढ़ में अंतर्राष्ट्रीय महिला काव्य मंच की मासिक गोष्ठी का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से किया गया, जिसकी अध्यक्षता मंच की अध्यक्ष डॉ. शारदा प्रसाद ने की। कार्यक्रम का आरंभ सरोज सिंह के गणेश वंदना से हुआ।सर्वप्रथम चांदनी ने जयशंकर प्रसाद की कविता “अब जागो जीवन के प्रभात”का पाठ किया। इसके बाद छाया कुमारी ने “हम लौटते हैं” तथा ‘पड़ाव जिंदगी के दो पांव से चार पांव तक की यात्रा’ का पाठ किया, जो जीवन के सत्य को उद्घाटित करते हैं। इसके बाद नीतू सिंह ने “मां का घर” वर्षों बीत गए उस घर से विदा हुए, चाहती हूं फिर से उन पलों को जीना’ तथा सीमा साहा ने ‘होली आई है होली मतवाली, खेलेंगे जी भर होली’ का पाठ करके आभासी मंच को भी रंगमय कर दिया। इसके बाद श्रेयसी सिंह ने ‘बेटी’ नामक कविता में अपने भावों को मां के प्रति समर्पित किया, “मां, काश! मैं कुछ कह पाती, अब मैं सिर्फ बेटी ही नहीं, औरत भी हूं” का पाठ किया। सरोज सिंह ने भोजपुरी कविता “होली” अइहन बलम जी त ले अयहन साड़ी, खोलब मन के सब किवाड़ी’ तथा ‘जोगीरा’ का पाठ करके होली का आभास दिलाया। अंत में डॉक्टर शारदा प्रसाद ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में होली पर ही अपनी कविता “मस्त-मस्त आई है होली, कण-कण बनी है वृंदावन-मथुरा” तथा चुनावी माहौल में हास्य-व्यंग्य के दोहे ‘भाई-भतीजे, पोते-पड़पोते बिन कमाय ही खाए’ सुनाकर हंसी-ठहाके का माहौल बनाया । मंच संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन सरोज सिंह ने किया। कार्यक्रम में चांदनी, डॉक. स्वाति पांडे, श्रीषा, पिंकी सिंह, डा. जयंती सिंह, अर्चना कुमारी, शुभम इत्यादि उपस्थित थीं। प्रसन्नता दिवस” के अवसर पर इन कवत्रियों ने प्रसन्नता बटोरीं और प्रसन्नता का संदेश भी दिया।
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