उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले सभी झांकियों को अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया
रामगढ़ जिले के भुरकुंडा सहित पतरातु प्रखंड के विभिन्न सरना स्थल मे आज प्राकृतिक पर्व सरहुल पूजा विधि विधान के साथ पूजा संम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में पहुंचे विधायक मनीष जायसवाल पुर्व विधायक लेबिन हेम्ब्रम। विधायक अंबा प्रसाद। संजीव बेदिया झामुमो केंद्रीय सचिव। रोशन लाल चौधरी आजसू पार्टी केंद्रीय महासचिव का केंद्रीय सरहुल समिति ने अंग वस्त्र पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का अध्यक्षता संतोष मांझी एवं संचालन संतोष उरांव एवं राजन करमाली ने किया जिसके बाद केन्द्रीय सरहुल समिति सहित भुरकुंडा रीवर साईड मंच में उपस्थित सभी अतिथियों ने सभी प्रखंड वासियों को दी शुभकामनाएं। आपको बताते चलें कि भुरकुंडा कोयलांचल सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से दर्जनों जुलूस झांकी लेकर रीवर साईड सरना स्थल पहुंचे जिसके बाद सभी झांकी पुनः भुरकुंडा बाजार का भ्रमण करते हुए न्यू बैरक सरना स्थल की और झांकियां पारंपरिक वेश-भूषा में पहुंचे लोग लोगों को मनमोहा

पुर्व जिला परिषद दर्शन गंजू एवं राजन करमाली ने कहा जुलूस से पहले स्थानीय पाहन के द्वारा अच्छी फसल एवं सुख समृद्धि की कामना की गई एवं मुर्गों की दी हुई बली चावल दाल सब्जी के साथ ताहरी बनाकर प्रसाद के रूप में सरना स्थल में उपस्थित सभी लोगों ने प्रसाद ग्रहण कराई गई। इसके बाद गांव में फूल खुशी का कार्यक्रम शुरू हुआ।पाहन के द्वारा प्रत्येक घरों में जाकर सराय फूल खोज कर सभी गांव के जनजीवन खुशहाली कि कामना किए। इस कार्यक्रम में आस-पास के दर्जनों गांवों के लोग सरना स्थल पहुंचे। जिसके बाद आज रीवर साईड एवं न्यू बैरक स्थित पहुंचे जुलूस के रूप में झांकी में लोगों का केंद्रीय सरहुल समिति एवं पुलिस प्रशासन द्वारा सरहुल पर्व में आने वाले हर व्यक्ति का सम्मान के साथ विधिः व्यवस्था बनाए रखने का कार्य किया गया। आपको बताते चलें कि आदिवासियों के बीच बहुत बड़ा महत्व रखता है। जिसे लेकर आज प्रकृति पर्व सरहुल महापर्व ,बाहा पर्व झांकी भव्य जुलूस को शानदार एवं धूमधाम से मनाई गई। वहीं इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से शामिल हुए लोबिन हेंबरम एवं संजीव बेदिया ने कहा प्राकृतिक आस्था का महापर्व सरहुल आदिवासियों का सबसे बड़ा पर्व है जिसे झारखंड राज्य सहित पूरे देश में आदिवासी समाज के द्वारा धूमधाम से मनाई जा रही इसी तहत आज भुरकुंडा सहित पतरातु प्रखंड विभिन्न पंचायत में भी सौहार्द वातावरण के साथ कुशलता पूर्वक मनाया गया है। इसके साथ संतोष उरांव।राजन करमाली। संतोष मांझी।झरी मुंडा एवं मिथलेश टूडू ने कहा सरहुल वसंत के मौसम में मनाया जाता है।साल के पेड़ों की शाखाओं पर सखुआ पेड़ में फूल सहित अन्य पेड़ों पर नए फूल आते हैं. यह ग्राम देवता की पूजा है जिसे जनजातियों का रक्षक माना जाता है. नए फूल आने पर लोग खूब गाते और नाचते हैं. देवताओं की पूजा साल के फूलों से की जाती है। गाँव का पुजारी या पाहन कुछ दिनों तक उपवास करता है. सुबह-सुबह वह स्नान करता है और कुंवारी सूती (कच्चा धागा) से बनी नई धोती पहनता है. पिछली शाम, पाहन तीन नए मिट्टी के बर्तन लेता है और उन्हें ताजे पानी से भर देता है; अगली सुबह वह इन मिट्टी के बर्तनों और पानी के स्तर को देखता है. यदि जल स्तर कम हो जाता है तो वह भविष्यवाणी करता है कि अकाल या कम वर्षा होगी, और यदि जल स्तर सामान्य है, तो यह अच्छी वर्षा का संकेत है। पूजा शुरू होने से पहले पाहन की पत्नी उनके पैर धोती है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने का कार्य करती है।
Leave a comment