
हजारीबाग: डायट हजारीबाग में आज दिनांक १४ अक्टूबर को एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य विद्यालयों में लैंगिक समानता और संवेदनशीलता को बढ़ावा देना था। इस प्रशिक्षण में जिले के लगभग 40 शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी श्री विजय राम, श्री जवाहर प्रसाद, संकाय सदस्यों, प्रशिक्षक टीम द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। प्रशिक्षण का संचालन पिरामल फाउंडेशन से श्री अविनाश एवं सुश्री दिव्यानी तथा सी3 संस्था से श्री अभिनव ने संयुक्त रूप से किया।
सत्र की शुरुआत “जेंडर क्या है”, “जेंडर असमानता कैसे दिखाई देती है” और “हम अनजाने में कैसे लैंगिक भेदभाव को व्यवहार में लाते हैं” जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं से हुई। प्रतिभागियों ने समूह चर्चा और सहभागिता आधारित गतिविधियों के माध्यम से यह समझ विकसित की कि कैसे विद्यालय के वातावरण में छिपे हुए लैंगिक पूर्वाग्रह को पहचाना जा सकता है और उसे धीरे-धीरे समाप्त किया जा सकता है।
प्रशिक्षण में इस बात पर विशेष बल दिया गया कि खेल और गतिविधियाँ लैंगिक भेदभाव को मिटाने का एक सशक्त माध्यम बन सकती हैं। इन्हीं गतिविधियों के माध्यम से छात्र-छात्राओं में समानता, आत्मविश्वास और सहानुभूति जैसी मूलभूत मानवीय गुणों का विकास संभव है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डायट संकाय सदस्य श्री रंजीत वर्मा ने कहा –
“जेंडर वर्षों से हमारे समाज और सोच में गहराई तक बसा हुआ है। इसे दूर करने के लिए हमें सामूहिक रूप से प्रयास करना होगा ताकि आने वाली पीढ़ी एक अधिक समान और संवेदनशील समाज का निर्माण कर सके।”
प्रशिक्षण के दौरान शिक्षकों ने स्टैंडिंग खो-खो और डांस जैसी सहभागिता आधारित गतिविधियों में हिस्सा लिया। इन गतिविधियों के माध्यम से प्रतिभागियों ने यह अनुभव किया कि कैसे खेल और समूह-आधारित अभ्यास विद्यालयों में समावेशी और समानता-आधारित वातावरण के निर्माण में सहायक हो सकते हैं।
कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों ने साझा किया कि इस प्रकार के प्रशिक्षण से उनकी सोच में सकारात्मक परिवर्तन आया है और वे अपने विद्यालयों में छात्रों के प्रति अधिक संवेदनशील व्यवहार अपनाने का प्रयास करेंगे। कार्यक्रम को सफल बनाने में संकाय सदस्य श्री महेंद्र गुप्ता, श्री शिव कुमार प्रसाद, श्री अरविन्द कुमार, अनिता कुमारी की पूर्ण सहभागिता रही.
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