पटना : ‘लैंड फॉर जॉब’ स्कैम मामले में दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेज प्रताप यादव, उनकी बहन हेमा यादव और अन्य आरोपियों को जमानत दे दी। अदालत ने सभी आरोपियों को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर रिहा किया। ये सभी कोर्ट के समन पर पेश हुए थे। वहीं, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और मीसा भारती ने कोर्ट में पेशी से छूट की अर्जी लगाई, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। इस मामले की अगली सुनवाई 20 मार्च को होगी। विशेष जज विशाल गोगने ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की तीन चार्जशीट पर संज्ञान लिया है। अंतिम चार्जशीट में लालू प्रसाद यादव सहित कुल 77 आरोपियों को शामिल किया गया है।
‘लैंड फॉर जॉब’ घोटाला: आरोपों की गंभीरता
CBI के अनुसार, इस मामले में 30 सरकारी कर्मचारी और 38 ऐसे उम्मीदवार शामिल हैं, जिनसे कथित तौर पर रेलवे में नौकरियां दिलाने के बदले जमीन ली गई।
• पहली चार्जशीट में तीन नए आरोपियों को जोड़ा गया था।
• दूसरी चार्जशीट में भोल यादव और प्रेमचंद गुप्ता को आरोपी बनाया गया।
• तीसरी चार्जशीट में तेज प्रताप यादव और हेमा यादव का नाम जोड़ा गया।
क्या है ‘लैंड फॉर जॉब’ स्कैम?
CBI ने यह मामला 18 मई 2022 को दर्ज किया था। आरोप है कि वर्ष 2004-2009 के दौरान, जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे, तब उन्होंने रेल विभाग में ग्रुप ‘D’ की नौकरियों के बदले उम्मीदवारों और उनके परिवार से पटना स्थित जमीन अपने और अपने परिजनों के नाम ट्रांसफर करवाई। जांच एजेंसी के अनुसार, इन भर्तियों के लिए कोई विज्ञापन या सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया। इसके बावजूद, पटना के उम्मीदवारों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर के रेलवे जोन में नौकरी दी गई।
CBI की जांच और छापेमारी
CBI ने इस मामले में दिल्ली और बिहार सहित कई स्थानों पर छापेमारी की थी। जांच में सामने आया कि एक निजी कंपनी, जो लालू यादव के परिवार से जुड़ी थी, इन जमीनों के हस्तांतरण में शामिल थी। इस केस में पहले भी 4 अक्टूबर 2023 को लालू यादव, तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी को अदालत से जमानत मिल चुकी है। लेकिन अब CBI ने विस्तृत चार्जशीट दाखिल कर दी है, जिससे यह मामला और गंभीर हो गया है।
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