पश्चिमी सिंहभूम जिले के मनोहरपुर स्थित आरटीसी पब्लिक स्कूल के आदिवासी छात्रावास में शनिवार शाम 9वीं कक्षा में पढ़ने वाले 14 वर्षीय छात्र सौरभ की संदिग्ध मौत के विरोध में आनंदपुर में बुधवार को इतिहास में पहली बार पूर्ण बंद देखा गया। हर गली, हर दुकान, हर चौराहा सन्नाटे में तब्दील था। यह बंद किसी संगठन का नहीं, बल्कि आम जनता के आह्वान पर घोषित थी। दरअसल, आरटीसी के छात्र सौरभ विषोय की रहस्यमयी मौत ने मनोहरपुर और आनंदपुर की जनता को झकझोर कर रख दिया। बुधवार को इन दोनों कस्बों में जनसैलाब उमड़ पड़ा। मृतक छात्र सौरभ की संदिग्ध मौत के विरोध में आनंदपुर में आज इतिहास में पहली बार पूर्ण बंद देखा गया। हर गली, हर दुकान, हर चौराहा सन्नाटे में तब्दील था। यह बंद किसी संगठन का नहीं, जनता की आत्मा से निकली आवाज थी, जो न्याय की मांग कर रही थी।
मनोहरपुर में हालात और भी भावुक थे। हजारों लोग बुज़ुर्ग, महिलाएं, युवा हाथों में मोमबत्तियां और तख्तियां लिए शांतिपूर्वक सड़कों पर उतरे। ‘उच्च स्तरीय जांच हो’, ‘सौरभ को न्याय मिले’ जैसी मांगों के साथ मौन जुलूस संत अगस्तीन कॉलेज से शुरू होकर डीसीवायएम चौक, शहर के मुख्य मार्गों और हाजरा परिसर तक पहुंचा। यह सिर्फ मार्च नहीं था, यह एक समुदाय की वेदना थी जो न्याय की उम्मीद में बदल चुकी है। प्रदर्शन में किसी राजनीतिक बैनर की अनुपस्थिति यह स्पष्ट करती है कि यह विरोध केवल एक छात्र की मौत पर नहीं, बल्कि एक व्यवस्था पर सवाल है
कैंडल मार्च के दौरान पुलिस प्रशासन पूरी सतर्कता के साथ मौजूद रहा। मनोहरपुर और आनंदपुर थानों के अधिकारी व जवान हालात पर नज़र बनाए रहे। हालांकि, कहीं से भी किसी तरह की अव्यवस्था की खबर नहीं आई यह दिखाता है कि जनता अब संगठित होकर शांति के साथ न्याय मांग रही है।
सौरभ विषोय की मौत का सच क्या है, यह अभी रहस्य बना हुआ है। पर जो साफ है, वह यह कि अब लोग चुप नहीं हैं। न्याय की यह लौ सिर्फ मोमबत्तियों तक सीमित नहीं रहेगी—यह तब तक जलती रहेगी, जब तक सौरभ को इंसाफ नहीं मिल जाता।
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