रांची : रांची के सिल्ली प्रखंड के मारदू गांव में अचानक एक बाघ को रेस्क्यू कर लिया गया है। गांव के पुरंदर महतो के घर में मंगलवार सुबह अचानक बाघ घुस गया था। सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और काफी सावधानी से बाघ को सुरक्षित तरीके से रेस्क्यू कर लिया गया।
बाघ को पकड़ने के लिए बेतला नेशनल पार्क से आई टीम के साथ बिरसा जैविक उद्यान के कर्मचारियों ने भी सहयोग किया। इस दौरान रांची के डीएफओ श्रीकांत खुद मौके पर मौजूद थे। उन्होंने बताया कि रेस्क्यू के दौरान बाघ को ट्रैंकुलाइज करने यानी बेहोश करने की जरूरत नहीं पड़ी, जो राहत की बात रही।
वन विभाग के मुताबिक, फिलहाल बाघ को रांची के बिरसा जैविक उद्यान में रखा गया है। वहां उसका पूरा स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा ताकि यह पता चल सके कि वह कहीं घायल तो नहीं है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी से बात करके तय किया जाएगा कि उसे किस जंगल में छोड़ा जाए। हालांकि, शिफ्टिंग के समय बाघ को हल्की बेहोशी की दवा दी गई ताकि उसे डर न लगे।
वन्य प्राणी विशेषज्ञों के अनुसार, जब बाघ 14 से 18 महीने का होता है, तो वह अपना इलाका ढूंढने के लिए भटकता है। इस दौरान वह गलती से इंसानी बस्तियों में आ सकता है। मारदू गांव में आया यह बाघ भी संभवतः भटकते हुए ही यहां पहुंचा। उसकी उम्र का आंकलन करने के बाद ही असली वजह पता चल पाएगी। बता दें कि घटना 25 जून की सुबह की है जब बाघ अचानक पुरंदर महतो के घर में घुस आया। जैसे ही यह देखा गया, घर के दरवाजे को बाहर से बंद कर दिया गया और तुरंत वन विभाग को सूचना दी गई। वन विभाग की स्थानीय टीम सुबह 5:30 बजे मौके पर पहुंच गई, लेकिन बाघ को निकालने के लिए बेतला से आने वाली विशेष टीम का इंतजार किया गया। बारिश और भारी भीड़ के कारण रेस्क्यू में काफी दिक्कतें आईं, लेकिन अंततः बाघ को सुरक्षित निकाल लिया गया।
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