रांची : झारखंड में पेसा कानून लागू करने की मांग को लेकर आज रांची में मार्च किया गया। ये मार्च जिला स्कूल रांची से राजभवन तक किया गया। इसमें आदिवासी रूढि सुरक्षा संघ के लोगों ने हिस्सा लिया और सरकार पर पेसा लागू करने के लिए दबाव बनाया। मार्च में शामिल लोगों ने कहा कि सरना समाज की रूढि प्रथा की रक्षा औऱ इसे मजबूत करना हमारा मकसद है। इसके लिए ग्रामसभा की मजबूती और पूर्ण रूप से पेसा कानून का लागू होना आवश्यक है। इसके बिना सरना समाज के अधिकारों की रक्षा मुश्किल है। मार्च में सैंकड़ों की संख्या में लोग शामिल थे।
बता दें कि झारखंड में पेसा कानून लागूर करने की मांग को लेकर विभिन्न संगठन सड़कों पर आंदोलन करते रहे हैं। इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर चिंता जाहिर की है। दास ने हेमंत को लिखा है कि यह कानून जनजातीय समाज की आत्मा, पहचान और स्वशासन की मूल भावना से जुड़ा हुआ है, जिसे अब तक लागू न करना दुर्भाग्यपूर्ण है। पत्र में रघुवर दास ने याद दिलाया कि वर्ष 1996 में संसद ने पेसा कानून पारित किया था ताकि अनुसूचित क्षेत्रों में पारंपरिक ग्रामसभा आधारित स्वशासन को वैधानिक मान्यता मिल सके। झारखंड भी उन 10 राज्यों में शामिल है जहां यह कानून लागू होना था, लेकिन अब तक यह अधिसूचित नहीं हुआ है।
रघुवर दास ने बताया कि 2014 से 2019 तक उनके नेतृत्व में भाजपा सरकार ने इस दिशा में गंभीर प्रयास शुरू किए थे। 2018 में पेसा नियमावली का प्रारूप तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी और इस बाबत 14 विभागों से मंतव्य मांगे गए थे। प्रक्रिया प्रगति पर थी, लेकिन 2019 में सरकार परिवर्तन के बाद यह काम वर्तमान सरकार के अधीन आ गया।
उन्होंने बताया कि जुलाई 2023 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार ने इस दिशा में पहल करते हुए पेसा नियमावली का प्रारूप प्रकाशित किया और आम नागरिकों से आपत्तियाँ, सुझाव और मंतव्य आमंत्रित किए। इसके बाद अक्टूबर 2023 में ट्राइबल एडवाइजरी कमेटी की बैठक हुई जिसमें नियम संगत सुझावों और आपत्तियों को स्वीकार करते हुए संशोधन किया गया। यह संशोधित प्रारूप मार्च 2024 में विधि विभाग को भेजा गया, जहां से विधि विशेषज्ञों और महाधिवक्ता की सहमति प्राप्त हुई। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह प्रारूप सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप है।
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