
अटल विचार मंच ने भारत रत्न, मैग्से पुरस्कार से सम्मानित लोक नायक जय प्रकाश नारायण जी की 122 वीं जयंती लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा में स्थापित प्रतिमा के उपर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित किया। इस अवसर पर जयप्रकाश नारायण के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए अटल विचार मंच के सदस्यता प्रभारी प्रफुल्ल कुमार ने कहा कि जयप्रकाश नारायण जी का संपूर्ण जीवन संघर्ष पूर्ण रहा। उन्होंने आजादी की लड़ाई में और आजादी के बाद हुई तानाशाह इन्दिरा गांधी के खिलाफ संपूर्ण क्रांति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आजादी की लड़ाई के प्रणेता जयप्रकाश नारायण को उनके सहयोगियों के साथ हजारीबाग, केंद्रीय कारागार में अंग्रेजी हुकूमत ने डाल दिया।जेल में उनको भयानक यातना दिया जाता था। मगर आजादी के दीवाने जयप्रकाश नारायण ने कभी हार नहीं मानी, उन्होंने अंग्रेजों के कारागार हजारीबाग सेंट्रल जेल को अपने सहयोगियों के साथ जेल तोड़ कर फरार होकर अंग्रेजों के मुंह पर तमाचा जड़ दिया।
भारत को गुलामी से आजादी के उपरांत देश में कांग्रेस की सरकार बनी। वर्ष 1974 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के द्वारा देश में आपातकाल लगा दिया गया। इसके खिलाफ जयप्रकाश नारायण मुखर हो गए। उन्होंने देश के छात्रों को संगठित किया और छात्र आंदोलन की हुंकार भरी।उन्होंने आगे कहा कि जयप्रकाश नारायण ने रामलीला मैदान में लाखों की संख्या में पहुंचे हुए आंदोलनकारी के समक्ष हुंकार भरी और एक नारा दिया “सिंहासन खाली करो के जनता आती है” तानाशाह इंदिरा गांधी ने उनको चंडीगढ़ से हिरासत में लेकर जेल में डाल दिया। मगर आंदोलन अपने चरम पर पहुंच चुका था। जे.पी.आंदोलन से हार कर 1977 को इंदिरा गांधी ने देश से आपातकाल हटा लिया और चुनाव की घोषणा किया। जेपी के मार्गदर्शन में एक राजनीतिक दल जनता पार्टी का गठन किया गया। देश की जनता ने जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत से सत्ता में विराज मान किया। इंदिरा गांधी की कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई। देश को उनकी तानाशाही से मुक्ति मिली।इस तरह देश में पहली बार मोरारजी देसाई के नेतृत्व में गैर कांग्रेसी सरकार बन गई।
इस अवसर पर हिमांशु कुमार ने बताया की जयप्रकाश नारायण ने जनता पार्टी को कई दलों के गठजोड़ से बनाया था। उन सभी ने सर्वसम्मति से जयप्रकाश नारायण को राष्ट्रपति बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया मगर जयप्रकाश को सत्ता का लोभ नहीं था। उन्होंने नीलम संजीव रेड्डी को राष्ट्रपति बना कर एक उदाहरण प्रस्तुत किया। जेल में दिए गए प्रताड़ना के कारण जयप्रकाश नारायण को किडनी में समस्या हो गई थी। जिसके कारण आजीवन वे डायलिसिस पर रह रहे थे। 8 अक्टूबर 1979 को पटना में उनका शुरुआत हो गया स्वर्गवास हो गया और उनके जाते ही एक युग का अंत हो गया। उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलकर ही हम नवभारत का निर्माण करेंगे।
इस अवसर पर अटल विचार मंच की महिला नेत्री प्रियम्बदा ने मांग किया की जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारागार के गेट के बाहर स्वतंत्रता सेनानियों के नाम का शीला पट्ट लगाया गया था। मगर उस शिला पट्ट से सभी स्वतंत्रता सेनानियों का नाम गायब हो गया है। जिला प्रशासन से अटल विचार मंच मांग करती है कि उन स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में जो शीला पट्ट लगाया गया था उसे पर उनके नाम को पुनः दर्शाया जाए यह उन स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान होगा। इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रफुल्ल कुमार, तलत शब्बीर उर्फ बाबू खान विल्सन निरंजन, हिमांशु कुमार अजय कुमार, प्रियंवदा, सुमित यादव, मनोज कुमार, लालती देवी एवं राधा देवी सहित अटल विचार मंच के दर्जनों प्रमुख कार्यकर्ता उपस्थित हुए। उक्त जानकारी अटल विचार मंच के मीडिया प्रभारी अनिल सिन्हा ने दिया।
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