हजारीबाग: ईचाक के प्रत्याशी को जेएलकेएम से टिकट ना मिलने पर बरकट्ठा विधानसभा में भारी विरोध पूरे ईचाक सहित बरकट्ठा विधानसभा में ईचाक के प्रत्याशी को टिकट ना मिलने से कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। ईचाक के लोगो का कहना है की ईचाक में 96000 मतदाता है। जातीय समीकरण के अनुसार पूरे बरकट्ठा विधानसभा में 78000 मेहता मतदाता है। जिसमे से केवल इचक में 56000 महतो वोटर है।फिर भी ईचाक के उम्मीदवार को टिकट ना देना जयराम के रणनीति किसी को समझ नहीं आ रहा है। अगर उम्मीदवार की बात करें तो ईचाक से तीन उम्मीदवार थे रामचंद्र प्रसाद मेहता , राकेश मेहता और गौतम मेहता। रामचंद्र प्रसाद पिछले बार भी निर्दलीय चुनाव में थे जो महज 15 दिनों के प्रचार प्रसार में 5323 वोट लाए थे। इन्होंने 10 दिनों पहले एक कार्यकर्ता मिलन सभा भी करवाया था। जिसमे एक 6-7 हज़ार लोग शामिल हुए थे। इससे प्रतीत होता है की ये एक प्रबल दावेदार के रूप में चुनाव जीत सकते थे। उन्होंने कोरोना काल में भी सभी नेताओं के अपेक्षा ज़्यादा बढ़ चढ़कर मदद कर रहे थे। जिससे भुलाया नहीं जा सकता। पिछले चुनाव में इन्होंने 3000 वोट बरकट्ठा और जयनगर से लाया था। इससे ये प्रतीत होता है की ये दूसरे प्रखंड से वोट लाकर जीत दिला सकते थे। ये एक शिक्षित उम्मीदवार, एलआईसी में 35 साल से चेयरमेंस क्लब मेम्बर होने से इनके इनका जमीनी स्तर पर इचाक सहित पूरे बरकट्ठा में अच्छी पकड़ है। इनकी छवि भी काफ़ी अच्छी है। राकेश मेहता तत्काल मुखिया एवं पार्टी में प्रखंड अध्यक्ष है। वे पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने वाले थे। गौतम 2019 के चुनाव में 1236 वोट लाए थे लेकिन वो भी क्षेत्र में लोगो का हरसंभव मदद करते रहते है। लेकिन ईचाक के लोगो में बरकट्ठा से इचाक को टिकट ना मिलने पर सामूहिक इस्तीफे और एक भी वोट ईचाक से जयराम के प्रत्याशी को ना देने की बात कर रहे है। महेंद्र प्रसाद मंडल का नाम ईचाक के लोगो के लिए पूरी तरह नया भी है। व्हाटसप, यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोग महेंद्र प्रसाद के प्रति असहमति जाता रहे है और पार्टी से विद्रोह कर सामूहिक इस्तीफ़े की बात कर रहे है। इसके साथ ही पार्टी अपने दोस्तों को टिकट देना जैसे कई तरह के आरोप ,प्रत्यारोप लगाया जा रहा है ।अगर ऐसा हुआ तो पार्टी की छवि पूरे राज्य में भी ख़राब होगी इसका प्रभाव राज्य के दूसरे सीटों पर भी होगा।

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