झारखंड : झारखंड ने आज अपना एक सच्चा गांधीवादी नेता खो दिया। गिरिडीह विधानसभा से रहे पूर्व विधायक और झारखंड मुक्ति मोर्चा के अनुभवी नेता ज्योतिन्द्र प्रसाद का आज निधन हो गया। अपने सादगीपूर्ण जीवन और जनसेवा की भावना के लिए जाने जाने वाले ज्योतिंद्र प्रसाद को लोग ‘झारखंड के गांधी’ कहकर संबोधित करते थे। उनके निधन की खबर से पूरे गिरिडीह सहित प्रदेश भर में शोक की लहर फैल गई है।
स्व. प्रसाद का अंतिम संस्कार बुधवार को गिरिडीह में किया जायेगा। अंतिम दर्शन के लिए सुबह से ही लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है। पूर्व विधायक लक्ष्मण सोनकर, दिनेश यादव, दीपक उपाध्याय समेत कई प्रमुख राजनीतिक और सामाजिक चेहरे उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे।
सादगी और संघर्ष की मिसाल
गिरिडीह के जमुआ प्रखंड अंतर्गत गांव निवासी ज्योतिंद्र प्रसाद ने अपने सार्वजनिक जीवन में उस आदर्श राजनीति को जिया, जिसकी आज कल्पना भर होती है। उन्होंने कभी दोपहिया वाहन तक नहीं लिया, झोपड़ी जैसे खपरैल घर में जीवन बिताया, और माइका मजदूर आंदोलन के दौरान मजदूरों के साथ धरती पर सोए, भोजन की व्यवस्था के लिए उनकी पत्नी ने अपने कान की बाली तक बेच दी। यह सब उन्होंने बिना किसी दिखावे के, केवल जनसेवा के भाव से किया। उन्हें कभी सत्ता का लोभ नहीं हुआ। राजनीति उनके लिए सेवा का माध्यम था, न कि साधन।
राजनीतिक जीवन
वर्ष 1990 में कांग्रेस के टिकट पर वे गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। अपने कार्यकाल में उन्होंने शुचिता, पारदर्शिता और आमजन की समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता की मिसाल कायम की।
उनकी ईमानदार छवि ने उन्हें गिरिडीह के घर-घर में भरोसेमंद नाम बना दिया। राजनीति में रहते हुए भी उन्होंने कभी दिखावटी जीवन नहीं जिया और सादगी को अपना धर्म बनाया।
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