बिहार : बिहार के दरभंगा ज़िले से आकर परिवार के साथ नोएडा बस गई है। पति मेडिकल स्टोर में काम करता है। दो बच्चे हैं जिनको अच्छी शिक्षा दिलाकर , पढ़ालिखा कर काबिल और कामयाब बनाने का सपना है उसका, जिसके लिए घर से बाहर निकल कर मेहनत करती है। एक हाउसिंग सोसायटी के बाहर सड़क पर बढ़िया चाय-समोसे बनाती है। घर की बनाई मठरी भी रखती है। दोपहर में आ जाती है और रात तक अपने मोर्चे पर डटी रहती है। एक छोटी सी मेज पर गैस का चूल्हा रखकर काम करती थी लेकिन एक दिन नोएडा अथॉरिटी के लोग आकर उसका खोमचा उजाड़ गये। उसने हिम्मत नहीं हारी और ज़मीन पर ही चूल्हा रखकर काम करती रही। थोड़ी दौड़धूप के बाद अथॉरिटी के अफसर ने कुछ दिन बाद उसकी मेज वापस कर दी । बहुत आशावादी है, हमेशा मुस्कुराकर, मीठे लहजे में बात करती है। महिला दिवस का मतलब उसे नहीं मालूम। 8 मार्च की तारीख सही मायनों में मुन्नी जैसी करोड़ों बेचेहरा मेहनतकश महिलाओं की नामालूम कहानियों से ही आबाद है।
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