हज़ारीबाग: प्रवासी श्रमिकों की लगातार बिगड़ती स्थिति, सुरक्षा और पुनर्वास के मुद्दे पर नव झारखंड फाउंडेशन ने अब गंभीर पहल की है। संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष किशोरी राणा ने मंगलवार को जिला श्रम अधीक्षक (लेबर कमिश्नर) रवि शंकर से मुलाकात की और प्रवासी मजदूरों की समस्याओं पर विस्तृत चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कई ठोस सुझाव और मांगें रखीं, जिन्हें लेबर कमिश्नर ने सकारात्मक रूप से स्वीकार किया।
किशोरी राणा ने बताया कि झारखंड के हज़ारीबाग, चतरा, कोडरमा और गिरिडीह जिलों से हर साल हजारों श्रमिक आजीविका की तलाश में दिल्ली, पंजाब, गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों की ओर पलायन करते हैं। इन मजदूरों को प्रायः ठेकेदारों या बिचौलियों के माध्यम से काम पर भेजा जाता है, जहाँ उन्हें उचित मजदूरी, सुरक्षित आवास और स्वास्थ्य सुविधा तक मयस्सर नहीं होती। कई बार दुर्घटनाओं या बीमारियों की स्थिति में उन्हें किसी तरह की सहायता नहीं मिल पाती, और सरकार से मुआवजा या सहायता राशि पाने में भी महीनों की देरी हो जाती है।
श्री राणा ने लेबर कमिश्नर से मांग की कि हर जिले में “प्रवासी श्रमिक सहायता प्रकोष्ठ” (Migrant Worker Support Cell) का गठन किया जाए, जिसमें बाहर काम करने वाले सभी मजदूरों का पंजीकरण हो। इससे संकट की स्थिति में उनकी पहचान और सहायता तुरंत संभव हो सकेगी। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि हर प्रखंड में विशेष शिविर लगाकर प्रवासी श्रमिकों को सरकारी योजनाओं और लाभकारी स्कीमों की जानकारी दी जाए।
संगठन ने राज्य सरकार से बीमा सुरक्षा योजना, आकस्मिक सहायता कोष और कौशल प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की भी मांग की, ताकि स्थानीय स्तर पर ही रोजगार के अवसर बढ़ें और पलायन की विवशता कम हो।
लेबर कमिश्नर रवि शंकर ने संगठन के प्रतिनिधियों की बातें ध्यानपूर्वक सुनीं और भरोसा दिलाया कि विभाग जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम उठाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रवासी श्रमिकों के लिए नई नीतियाँ तैयार कर रही है, जिनकी जानकारी जल्द साझा की जाएगी।
इस मुलाकात को हज़ारीबाग में प्रवासी मजदूरों के अधिकारों और सुरक्षा को लेकर एक नई शुरुआत माना जा रहा है। नव झारखंड फाउंडेशन की यह पहल श्रमिकों की आवाज़ को सरकारी तंत्र तक पहुँचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
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