आज दशहरा है रावण दहन का पावन दिन। मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम ने लंका में रावण का वध कर सत्य और धर्म की विजय प्राप्त की थी। इसे केवल एक युद्ध की जीत नहीं, बल्कि असत्य पर सत्य, बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की विजय माना जाता है।
हम रावण को आमतौर पर “राक्षसों का राजा” और “सीता हरण करने वाला खलनायक” के रूप में जानते हैं, लेकिन शास्त्रों और प्राचीन ग्रंथों में रावण को एक यशस्वी और शक्तिशाली शासक के रूप में भी वर्णित किया गया है।
रावण के शासनकाल में लंका में अपराध और अन्याय लगभग न के बराबर थे। वह अपने राज्य में नियमों का सख्ती से पालन करता था। रावण ने कई द्वीप-समूहों पर विजय प्राप्त कर उन्हें सुरक्षा और सुव्यवस्था प्रदान की। उन्होंने विभिन्न जातियों को संगठित किया, उन्हें आत्मसम्मान और सामूहिक शक्ति दी।
शास्त्रों के अनुसार, रावण केवल एक योद्धा नहीं था — वह अत्यंत ज्ञानी, कुशल राजनीतिज्ञ, आयुर्वेद-विद्वान और महान वीणा वादक था। उसे चारों वेदों और अनेक शास्त्रों का गहन ज्ञान था। फिर भी, उसकी यह महानता उसकी कुछ कमजोरियों और मोह-माया से प्रभावित रही, जो अंततः उसकी सबसे बड़ी कमी साबित हुई।
दशहरे पर रावण दहन केवल रावण का अंत नहीं, बल्कि यह हमें यह याद दिलाता है कि सच्ची शक्ति केवल ज्ञान और शक्ति में नहीं, बल्कि धर्म, विवेक और सत्य के मार्ग पर चलने में निहित है।
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