हजारीबाग के दारू प्रखंड के चोंय गांव के रहने वाले राजू अगरिया अपने जज्बे और हौसले से आज पूरे इलाके के लिए प्रेरणा बन गए हैं। उनका जीवन किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है, जहां संघर्ष है, दर्द है, लेकिन हार नहीं। कुछ साल पहले, महाराष्ट्र के औरंगाबाद में बिजली के काम के दौरान एक भयानक हादसे में उन्हें करंट लग गया। इस दर्दनाक दुर्घटना में उन्होंने अपना एक हाथ और एक पैर गंवा दिया। आमतौर पर ऐसे हादसे किसी की भी हिम्मत तोड़ सकते हैं, लेकिन राजू अगरिया ने हालात के सामने घुटने टेकने से इनकार कर दिया।
आज भी वे अपने खेत में काम करते हैं, घर के रोज़मर्रा के सारे काम करते हैं वो भी सिर्फ एक हाथ और एक पैर के सहारे। जब पेंशन निकालने की बारी आती है, तो उन्हें बैंक तक पहुंचने के लिए 5 किलोमीटर का सफर कूदते-कूदते तय करना पड़ता है। गांव के लोग उन्हें देखकर हैरान रह जाते हैं कि कैसे इतनी मुश्किलों के बावजूद वे अपने काम को लेकर इतने समर्पित रहते हैं।
राजू अगरिया के पास न तो ट्राईसाइकिल है और न ही बैटरी वाला स्कूटर। गांव में भी उन्हें कोई विशेष सहायता नहीं मिलती, लेकिन फिर भी वे हौसले और उम्मीदों के सहारे अपने जीवन की राह खुद बनाते जा रहे हैं। उनके परिवार में दो बेटे और दो बेटियां हैं। उनकी सबसे बड़ी ख्वाहिश है कि वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला सकें, ताकि उनका भविष्य बेहतर हो। उनकी पत्नी गांव के स्कूल में रसोईया के तौर पर कार्यरत हैं और पूरे परिवार की जिम्मेदारी दोनों मिलकर उठाते हैं।
Leave a comment