
थैलेसीमिया रोगियों के लिए समय पर रक्त मिलना जीवन रक्षक होता है। युवाओं का यह योगदान सराहनीय और समाज के लिए प्रेरणास्पद है :– हर्ष अजमेरा
रक्तदान शिविर में 15 यूनिट रक्त संग्रह किया गया
हजारीबाग.
विश्व थैलेसीमिया दिवस के अवसर पर ज्ञान ज्योति कॉलेज ऑफ फार्मेसी ने सामाजिक उत्तरदायित्व निभाते हुए एकदिवसीय रक्तदान शिविर का आयोजन किया। यह शिविर आरोग्यम अस्पताल के ब्लड बैंक के विशेष सहयोग से आयोजित किया गया। शिविर का उद्देश्य रक्त की आवश्यकता से जूझते थैलेसीमिया पीड़ितों और अन्य रोगियों के लिए समय पर रक्त की उपलब्धता सुनिश्चित करना था। कार्यक्रम का शुभारंभ कॉलेज के डायरेक्टर शंभू कुमार ने किया.प्रेरणादायक उद्बोधन के साथ किया। उन्होंने कहा की रक्तदान जीवनदान है। इस प्रकार के आयोजनों से विद्यार्थियों में सामाजिक सरोकारों के प्रति जागरूकता आती है और सेवा भावना का विकास होता है। कॉलेज के सचिव विनय कुमार ने अपने संबोधन में कहा की यह शिविर न केवल एक मानवीय प्रयास है, बल्कि छात्रों के लिए एक सामाजिक शिक्षा भी है। रक्तदान जैसे आयोजनों में भाग लेना हमारे नैतिक कर्तव्यों में आता है। उन्होंने आरोग्यम अस्पताल की टीम के प्रति विशेष आभार जताया। अस्पताल के निर्देशक हर्ष अजमेरा ने कहा की थैलेसीमिया एक ऐसा रोग है जिसमें रोगियों को समय-समय पर रक्त की आवश्यकता होती है। ऐसे में रक्तदान शिविरों का आयोजन जीवनरक्षक साबित होता है। ज्ञान ज्योति कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने जिस जागरूकता और आत्मीयता से भाग लिया, वह अत्यंत सराहनीय है। समाज में इस प्रकार की भावना का विस्तार होना आवश्यक है। इस शिविर में कॉलेज के शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्र-छात्राओं ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया। रक्तदान करने वाले प्रमुख प्रतिभागियों में चंदन कुमार,अंजुम साहिन,उज्ज्वल,रूपेश कुमार,गुसिया एकराम, सनी कुमार समेत अनेक विद्यार्थी शामिल रहे। शिविर में कुल 15 यूनिट रक्त एकत्र किया गया, जो आपातकालीन परिस्थितियों में अनेक जीवन बचाने में सहायक सिद्ध होगा।
सभी रक्तदाताओं को प्रमाण पत्र, टी-शर्ट एवं नाश्ते के पैकेट प्रदान किए गए। आयोजन स्थल पर छात्रों का उत्साह देखने लायक था। हर किसी ने इसे एक गौरवपूर्ण क्षण के रूप में लिया और भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेने की इच्छा व्यक्त की। इस सफल आयोजन में कॉलेज के डायरेक्टर शंभू कुमार, सचिव विनय कुमार, और प्रिंसिपल डॉ. नीतू सिन्हा की सक्रिय भूमिका रही। उन्होंने शिविर की पूर्ण व्यवस्था का निरीक्षण किया और स्वयं उपस्थित रहकर प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया।
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