एलएडीसीएस अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा ने छात्रों को नशा से संबंधित कानुनी प्रावधान को बतलाया।

रांची : झालसा के निर्देश पर न्यायायुक्त-सह-अध्यक्ष के मार्गदर्शन में आज दिनांक 26.03.2025 बुधवार को अनिता इंटरमीडिएट कॉलेज कांके, रांची में नशामुक्ति पर विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अवसर पर एलएडीसी डिपुटी चीफ, श्री राजेश कुमार सिन्हा, मध्यस्थ, पंचानन सिंह, लाईफ सेवर्स एनजीओ के प्रमुख, अतुल गेरा, सी.आई.डी. के एस. आई. रिजवान अंसारी, एन.सी.बी. के राकेश गोस्वामी तथा ड्रग्स विभाग से कुंज बिहारी एवं अनिता इंटरमीडिएट कॉलेज, कांके के प्रचार्या, शिक्षक-शिक्षिकाएं, छात्रगण एवं राजा वर्मा समेत अन्य लोग उपस्थित थे।
एलएडीसी डिपुटी चीफ, राजेश कुमार सिन्हा ने मादक पदार्थों के बारे में विस्तार से बतलाया तथा इन पदार्थों का उत्पादन, संग्रहण, उपभोग, उपयोग एक जगह से दूसरे जगह ले जाना तथा उसका भंडारण करना तथा खेती के लिए लीज पर जमीन को देना या स्वयं खेती करना, जिससे मादक पदार्थ का उत्पादन होता हो, ये सभी कानुनन अपराध है, अगर किसी व्यक्ति के पास से मादक पदार्थ पाये जाते हैं, तो वह कानुनन सजा के पात्र होते है। अफीम या पोस्ता के उत्पादन या कब्ज़े पर एनडीपीएस अधिनियम-1985 के तहत मात्रा के आधार पर 20 साल तक के कठोर कारावास की सजा हो सकती है। बार-बार अपराध करने तथा दूसरे को प्रेरित करने और वाणिज्य मात्रा में मादक पदार्थ प्राप्त होने पर मृत्युदंड तक की सजा का प्रावधान है। काँके के पुनर्वास केंद्रों के साथ-साथ एनजीओ भी नशा करने वालों को ठीक करने में मदद करते हैं।
मध्यस्थ, पी.एन. सिंह ने कहा कि सी.आई.पी. और रिनपास कांके, रांची में जिला विधिक सेवा प्राधिकार का लिगल एड क्लिनिक है, वहां पर वैसे नशा करनेवाले व्यक्तियों को ईलाज किया जाता है। इसमें जिला विधिक सेवा प्राधिकार, रांची निःशुल्क सहायता प्रदान करती है। नशा से संबंधित पदार्थों के बारे में श्री सिंह ने विस्तार से बताया। उन्होंने छात्रों को यह बतलाया कि एक बार नशा का लत लग जाने पर व्यक्ति गलत राह पर चल पड़ता है और पैसा नहीं मिलने पर मादक पदार्थ के लिए अपराधी बन जाते है और अपराध करने लगते है। इसके अलावा उन्होंने नालसा टॉल फ्री नम्बर 15100 की जानकारी दी।
लाईफ सेवर्स एनजीओ के अतुल गेरा के द्वारा भी नशा उन्मूलन पर प्रकाश डाला गया, उन्होंने कहा कि जिनको ड्रग्स या दूसरा नशा का लत लग जाता है उसका शरीर धीरे-धीरे खोखला हो जाता है। बच्चे भारत देश का भविष्य है, इसलिए हर हाल में ड्रग्स से दूर रहना है और दूसरों को भी नशामुक्त करना है तथा उन्होंने यह भी कहा कि समय-समय पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार, रांची एन.जी.ओ. से समन्वय स्थापित कर नशामुक्ति जागरूकता कार्यक्रम स्कूल व कॉलेजों में चलाते है, जिससे कि छात्र-छात्राएं जागरूक हो और अन्य लोगों को भी जागरूक करें। हमलोगों का प्रमुख उद्देश्य नशामुक्त समाज का निर्माण करना है।
ड्रग्स अधिकारी ने बताया कि कैसे साधारण खाँसी की सिरप जैसी चीज़ों का नशे के लिए उपयोग किया जाता है। झारखंड राज्य न केवल नशीली दवाओं का उपभोग करता है, बल्कि भारी कार्रवाई के बावजूद इनका उत्पादन भी करता है। नशा करने से व्यक्ति और परिवार, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
सी.आई.डी. के एस.आई. रिजवान अंसारी ने कहा कि झारखंड में इस नशे की समस्या को रोकने के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह क़ानूनों के कार्यान्वयन और हितधारकों के बीच समन्वय के लिए ज़िम्मेदार है। नशे की दवाओं का उत्पादन और वितरण इस समस्या की जड़ तक पहुँचता है। अधिकांश तस्करी के गिरोह संसाधनों की कमी के कारण पकड़े नहीं जाते। गृह मंत्रालय ने पिछले महीने मादक द्रव्यों के सेवन से संबंधित किसी भी संदेह की जानकारी देने के लिए आम जनता के लिए मानस हेल्पलाइन (टोल फ्री नं. 1933) स्थापित की है।
ज्ञात हो कि एन.सी.बी. से आये राकेश गोस्वमामी ने भी उपस्थित बच्चों को नशा से संबंधित कानूनों के बारे में जानकारी दी। नशीली पदार्थों के सेवन से होनेवाली हानियों के बारे में बताये तथा संबंधित सजा के बारे में विस्तृत चर्चा किये।
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