हजारीबाग: गुरुवार को शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य आरोग्य दूत सम्मान समारोह का सफल आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग एवं सेंटर फॉर कैटालाइजिंग चेंज के तकनीकी सहयोग से आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ हजारीबाग के सिविल सर्जन डॉ एस पी सिंह ने की। सम्मेलन में 80 विद्यालयों के 152 स्वास्थ्य आरोग्य दूतों को उनके उत्कृष्ट योगदान हेतु स्वास्थ्य विभाग एवं शिक्षा विभाग द्वारा सम्मानित किया गया।

यह सम्मान उन्हें हेल्थ एंड वेलनेस कार्यक्रम में बेहतर भूमिका निभाने को लेकर किया गया। मुख्य अतिथि सिविल सर्जन डॉक्टर एसपी सिंह व अशिष्ट अतिथि ने सभी को उपहार देकर और शॉल ओढ़ाकर एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। जहां इचाक और मंडई के दो शिक्षकों ने कार्यक्रम से संबंधित अपना अनुभव साझा किया। वहीं स्कूली बच्चों ने नशाखोरी पर सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति भी की। इस मौके पर मुख्य रूप से एसडीपीओ अजय कुंडू, जिला आरसीएच पदाधिकारी डाक्टर कपिल मुनि, डाइट हजारीबाग से रंजीत वर्मा, एनएचएम से जिला प्रोग्राम मैनेजर रवि शंकर, जिला अकाउंट मैनेजर राकेश पांडेय, जिला डाटा मैनेजर दिवाकर अम्बष्टा, तनु, अमित समेत पूरी टीम व 16 प्रखंड के चयनित शिक्षक थे।
सिविल सर्जन डॉक्टर एसपी सिंह ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत संचालित हेल्थ एंड वैलनेस कार्यक्रम के उद्देश्य और जागरूकता में शिक्षक और छात्र-छात्राओं की भूमिका पर प्रकाश डाला। कहां की यह कार्यक्रम 2020 से शुरू हुआ है। जिसमें सप्ताह के 2 दिन बच्चों को विशेष जानकारी और एक्टिविटी से अवगत कराया जाता है ।इसके लिए विशेष प्रशिक्षण शिक्षक और छात्रों को दिया जाता है ताकि हेल्थ के प्रति वे जागरूक हों और जागरूकता फैलाने में भी अहम भूमिका निभाएं। वहीं सी3 के जिला कार्यक्रम समन्वयक अभिनव कुमार। ने भी इस कार्यक्रम के उद्देश्य और भूमिका पर प्रकाश डाला। बताया गया कि यह कार्यक्रम आयुष्मान भारत पहल के अंतर्गत संचालित है। जिसे स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग झारखंड व शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद स्वास्थ्य मिशन झारखंड स्वास्थ्य मिशन और सेंटर फॉर कैटलाइजिंग चेंज के संयुक्त प्रयास से इस मुकाम तक पहुंचा जा रहा है। बताया गया कि झारखंड में कुल आबादी का 23 फीसदी 10 से 19 आयु वर्ग के किशोर किशोरी हैं। जिनकी कुल जनसंख्या 75 लाख 9000 है। 10 से 19 आयु वर्ग में आने वाले शारीरिक व मानसिक परिवर्तन के दौरान बच्चों को मानसिक रूप से तैयार होने में यह कार्यक्रम कारगर साबित हुआ है।
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