
महासभा का प्रतिनिधिमंडल पंचायती राज मंत्री दीपिका पांडे सिंह से मिलकर PESA लागू करने पर चर्चा किया। साथ ही, JPRA में PESA के सभी प्रावधानों को जोड़ने के लिए आवश्यक संशोधन एवं PESA नियमावली के खामियों को सुधारने के विस्तृत प्रस्ताव को साझा किया। प्रतिनिधिमंडल ने कल दिनांक 24 मार्च 2025 को पंचायती राज की निर्देशक निशा उरांव से भी प्रस्ताव के ड्राफ्ट पर चर्चा किया था। मांग पत्र व ड्राफ्ट संलग्न है।
प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री से कहा की PESA के प्रावधान राज्य के पंचायत राज कानून से ही लागू हो सकते हैं, लेकिन झारखंड पंचायत राज अधिनियम, 2001 (JPRA) में PESA के अधिकांश प्रावधान सम्मिलित नहीं है। इसलिए सबसे पहले JPRA को संशोधित करने की ज़रूरत है। महासभा मानती है कि मूल कानून (JPRA) में PESA के सभी प्रावधानों को बिना जोड़े नियमावली बनाना उचित नहीं है क्योंकि प्रावधानों को कानून का बल नहीं मिलेगा। प्रस्तावित नियमावली में भी अनेक गंभीर खामियां हैं खास कर के भूमि, सामुदायिक संसाधन, लघु खनिज , वन उपज एवं पुलिस व वन विभाग पर अंकुश सम्बंधित।

साथ ही, PESA नियमावली ड्राफ्ट में कई प्रावधानों का अन्य कानूनों के रेफरेन्स में व्याख्या किया गया है, जो कानून PESA के मूल भावना के विपरीत सामूहिक अधिकारों को सीमित करते हैं। जैसे Jharkhand Rights to Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation and Resettlement Rules, 2015, झारखण्ड नगरपालिका अधिनियम, 2011, केंदु पत्ता (व्यापार-नियंत्रण) अधिनियम 1973, झारखंड राज्य बालू खनन नीति, 2017 आदि। इन कानूनों में भी PESA अनुरूप संशोधन की ज़रूरत है।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि PESA आदिवसी-मूलवासियों के जल, जंगल, जमीन और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण संवैधानिक व्यवस्था है। इस परिपेक्ष्य में महासभा द्वारा ज़मीनी परिस्थिति, सभी सम्बंधित संवैधानिक प्रावधानों, कानूनों और नियमावली के ड्राफ्ट का विस्तृत विश्लेषण किया गया। इसके आधार पर महासभा ने JPRA में PESA के सभी प्रावधानों को जोड़ने के लिए आवश्यक संशोधन एवं PESA नियमावली के खामियों को सुधारने के लिए ड्राफ्ट बनाया है।
महासभा ने मंत्री से निम्न मांग किया:
• JPRA को संशोधित कर PESA के सभी प्रावधानों को जोड़ा जाये।
• इसके बाद PESA नियमावली के वर्तमान ड्राफ्ट की खामियों को PESA कानून की मूल भावना अनुरूप सुधारा जाये।
• राज्य सरकार द्वारा ग्राम सभा अधिकारों से सम्बंधित विभिन्न कानून जैसे Jharkhand Rights to Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation and Resettlement Rules, 2015, झारखण्ड नगरपालिका अधिनियम, 2011, केंदु पत्ता (व्यापार-नियंत्रण) अधिनियम 1973, झारखंड राज्य बालू खनन नीति, 2017, झारखंड लघु खनिज समनुदान नियमावली, 2004 आदि में PESA अनुरूप संशोधन किया जाये।
मंत्री ने आश्वासन दिया कि प्रस्तावों पर सकारात्मक विचार किया जायेगा। प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री से यह भी मांग किया कि PESA और सम्बंधित संवैधानिक व्यवस्था और कानूनों पर राज्य के सभी विधायकों के लिए एक-दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हो। PESA सम्बंधित कई भ्रांतियां फ़ैल रही हैं जिसकी समझ सभी विधायकों को भी होनी चाहिए।
प्रतिनधिमंडल में दिनेश मुर्मू, एलिना होरो, जेम्स हेरेंज, जॉर्ज मोनिपल्ली, रिया तुलिका पिंगुआ, सिराज, सिसिलिया लकड़ा और टॉम कावला थे।
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