गुमला जिले के डुमरी प्रखंड में फर्जीवाड़े का एक बड़ा मामला सामने आया है। जहां महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना के तहत ₹39.39 लाख की फर्जी निकासी कर ली गई। इस मामले में कंप्यूटर ऑपरेटर राजू साहू को दोषी ठहराया गया है, वहीं जिन अधिकारियों ने अपना डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल करने दिया था उन बड़े अधिकारियों को केवल स्पष्टीकरण पूछकर छोड़ दिया गया है।
वहीं इस मामले में जिन लोगों के खाते में पैसे ट्रांसफर किये गए उन अभियुक्तों में कंप्यूटर ऑपरेटर राजू साहू के अलावा खाताधारक अमित राम, सुमित नायक, भगवान नायक, बिरसमुनी देवी, दिलीप यादव, टुम्पा यादव, पंपा यादव, देवंती देवी, और हीरा लाल यादव शामिल हैं।
बता दें कि डुमरी प्रखंड में अनियमितता की शिकायत के बाद जिला प्रशासन ने जांच समिति का गठन किया। और कार्रवाई शुरू की. जिसमें समिति की रिपोर्ट में तत्कालीन BDO के डिजिटल सिग्नेचर का उपयोग कर ₹39.34 लाख की फर्जी निकासी की पुष्टि की गई। फर्जी रूप से निकाली गई यह राशि नौ अलग-अलग लोगों के खाते में ट्रांसफर की गई थी, जिनका संबंध डुमरी प्रखंड के बजाय पालकोट से है। जांच के आधार पर, मार्च 2025 में जिला प्रशासन ने कुल 10 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी थी। इसमें कंप्यूटर ऑपरेटर राजू साहू और उन नौ खाताधारकों को नामजद किया गया था जिनके अकाउंट में पैसे भेजे गए थे।
मिली जानकारी के मुताबिक फर्जी निकासी में तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारियों (BDOs) के डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल किया गया था, जिसके चलते जिला प्रशासन ने जिला आपूर्ति पदाधिकारी प्रीति किसकू (तत्कालीन अतिरिक्त प्रभार BDO), तत्कालीन BDO एकता वर्मा, उमेश स्वांसी, और प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी (BPO) संदीप उरांव से स्पष्टीकरण मांगा था। जिसमें प्रीति किसकू ने स्वीकार किया कि काम के बोझ के कारण उन्होंने कार्यहित में अपना डिजिटल सिग्नेचर BPO/कंप्यूटर ऑपरेटर को दे दिया था और सरकार से खुद को इस मामले से मुक्त करने की गुहार लगाई।
वहीं एकता वर्मा ने अपने बचाव में कहा कि भुगतान से पहले कर्मियों का विवरण BPO और DPC स्तर पर भरा और फ्रिज किया जाता है, और संदेह जताया कि कंप्यूटर ऑपरेटर राजू साहू द्वारा जानबूझकर यह फर्जीवाड़ा किया गया है। उमेश स्वांसी और संदीप उरांव ने भी फर्जी निकासी में राजू साहू की संलिप्तता बताई. लेकिन तारणी कुमार महतो ने दो बार रिमाइंडर भेजे जाने के बावजूद भी स्पष्टीकरण का जवाब नहीं दिया। हालांकि, जिला प्रशासन ने इन सभी अधिकारियों को छोड़ दिया है।
फिलहाल, इस मामले में केवल कंप्यूटर ऑपरेटर और नौ खाताधारकों के खिलाफ ही कानूनी कार्रवाई को आगे बढ़ाई गई है, जबकि डिजिटल सिग्नेचर सौंपने वाले अधिकारियों पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की गई है।
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